गुरुवार, 3 जुलाई 2025

क्रिप्टोकरेंसी कैसे काम करती है?

क्रिप्टोकरेंसी की कार्यप्रणाली मुख्यतः ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित है।


ब्लॉकचेन: यह एक सार्वजनिक डिजिटल खाता-बही (लेजर) है जहाँ सभी क्रिप्टोकरेंसी लेन-देन रिकॉर्ड किए जाते हैं। प्रत्येक लेन-देन को "ब्लॉक" में समूहीकृत किया जाता है और एक चेन की तरह एक साथ जोड़ा जाता है, जिससे डेटा को बदलना या छेड़छाड़ करना बहुत मुश्किल हो जाता है। यह लेन-देन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करता है।


खनन (Mining): नई क्रिप्टोकरेंसी बनाने और लेन-देन को मान्य करने की प्रक्रिया को खनन कहते हैं। इसमें जटिल गणितीय समीकरणों को हल करने के लिए शक्तिशाली कंप्यूटर का उपयोग किया जाता है। जो खनिक (माइनर्स) इन समीकरणों को हल करते हैं, उन्हें नई क्रिप्टोकरेंसी मिलती है।

cryptocurrency
cryptocurrency


डिजिटल वॉलेट: क्रिप्टोकरेंसी को डिजिटल वॉलेट में स्टोर किया जाता है। इन वॉलेट में पब्लिक और प्राइवेट कीज (कुंजी) होती हैं, जिनका उपयोग लेन-देन को सुरक्षित करने और क्रिप्टोकरेंसी तक पहुँचने के लिए किया जाता है।

क्रिप्टोकरेंसी के फायदे

विकेंद्रीकरण: किसी भी सरकार या वित्तीय संस्थान का नियंत्रण न होने के कारण यह सेंसरशिप और सरकारी हस्तक्षेप से मुक्त है।


सुरक्षा:  क्रिप्टोग्राफी और ब्लॉकचेन तकनीक के उपयोग से लेन-देन बहुत सुरक्षित होते हैं और धोखाधड़ी की संभावना कम होती है।


तेज लेन-देन:  क्रिप्टोकरेंसी से लेन-देन पारंपरिक बैंकिंग विधियों की तुलना में बहुत तेजी से होते हैं, खासकर अंतरराष्ट्रीय लेन-देन।


कम शुल्क: पारंपरिक बैंकों या वित्तीय बिचौलियों की आवश्यकता न होने के कारण लेन-देन शुल्क अक्सर कम होते हैं।


पारदर्शिता: सभी लेन-देन ब्लॉकचेन पर सार्वजनिक रूप से दर्ज होते हैं, जिससे पारदर्शिता बढ़ती है (हालांकि उपयोगकर्ताओं की पहचान गुमनाम रहती है)।


उच्च रिटर्न की संभावना: कुछ क्रिप्टोकरेंसी ने अतीत में असाधारण रूप से उच्च रिटर्न दिया है, जिससे निवेशकों को आकर्षित किया है।


क्रिप्टोकरेंसी के नुकसान और जोखिम

अस्थिरता (Volatility): क्रिप्टोकरेंसी की कीमतें बहुत तेजी से ऊपर या नीचे जा सकती हैं। यह एक बड़ा जोखिम है और निवेशकों को भारी नुकसान हो सकता है।


नियामक अनिश्चितता: कई देशों में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कानून अभी भी स्पष्ट नहीं हैं, जिससे कानूनी समस्याओं या अचानक प्रतिबंधों का खतरा रहता है।


हैकिंग का जोखिम: डिजिटल वॉलेट या एक्सचेंजों को हैक किया जा सकता है, जिससे निवेशकों को अपनी क्रिप्टोकरेंसी खोने का खतरा होता है।


ऊर्जा खपत: क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग एक ऊर्जा-गहन प्रक्रिया है, जिससे पर्यावरण पर प्रभाव पड़ता है।


धोखाधड़ी और घोटाले: क्रिप्टोकरेंसी बाजार में कई धोखाधड़ी वाली योजनाएं और घोटाले मौजूद हैं, जिससे नए निवेशकों को नुकसान हो सकता है।


समझ की कमी: बहुत से लोग क्रिप्टोकरेंसी की तकनीक और उसके पीछे के सिद्धांतों को पूरी तरह से नहीं समझते हैं, जिससे गलत निवेश निर्णय लिए जा सकते हैं।


भारत में क्रिप्टोकरेंसी का भविष्य

भारत में क्रिप्टोकरेंसी का भविष्य अभी अनिश्चित बना हुआ है। सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) क्रिप्टोकरेंसी को लेकर सतर्कता बरत रहे हैं।


कर (Tax): 2022 के केंद्रीय बजट में, भारत सरकार ने स्पष्ट किया कि वर्चुअल डिजिटल एसेट (VDA) या क्रिप्टोकरेंसी के हस्तांतरण से होने वाले मुनाफे पर 30% फ्लैट टैक्स लगेगा। इसके अतिरिक्त, प्रत्येक लेन-देन पर 1% टीडीएस (TDS) भी वसूला जाता है। टैक्स लगाने का मतलब यह नहीं है कि इसे कानूनी मान्यता मिल गई है।


नियामक दृष्टिकोण: RBI ने क्रिप्टोकरेंसी को देश की व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता के लिए एक बड़ा खतरा बताया है और इसके प्रतिबंध की सिफारिश की है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने पहले RBI के क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। सरकार अभी भी एक व्यापक नीति बनाने पर विचार कर रही है।


डिजिटल रुपया (CBDC): RBI भारतीय रुपये का डिजिटल संस्करण (डिजिटल रुपया या ई-रुपया) लॉन्च करने पर काम कर रहा है, जो ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित होगा लेकिन केंद्रीय बैंक द्वारा नियंत्रित होगा। यह क्रिप्टोकरेंसी से अलग होगा।


अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: भारत सरकार का मानना है कि क्रिप्टोकरेंसी पर किसी भी प्रभावी विनियमन या प्रतिबंध के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता होगी, क्योंकि यह एक वैश्विक मुद्दा है।


कुल मिलाकर, भारत में क्रिप्टोकरेंसी एक विकसित हो रहा क्षेत्र है जिसमें उच्च रिटर्न के साथ-साथ उच्च जोखिम भी शामिल हैं। निवेशकों को इसमें बहुत सावधानी से और विशेषज्ञों की सलाह लेकर ही निवेश करना चाहिए।



Share:

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें